नेविगेशन
प्रिंट साझा करें यूआरएल कॉपी करें
ब्रेडक्रंब
Published

2026 के बाद बिहार में जीएसटी क्षतिपूर्ति पर राजकोषीय संघवाद के मुद्दे

2026 में जीएसटी क्षतिपूर्ति समाप्त होने के बाद बिहार के लिए राजकोषीय चुनौतियों और भारत की संघीय संरचना पर इसके प्रभाव का विश्लेषण

राजकोषीय संघवाद विशेषज्ञ

2026 के बाद बिहार में जीएसटी क्षतिपूर्ति पर राजकोषीय संघवाद की चुनौतियाँ

मुख्य चिंता: जून 2026 के बाद जीएसटी क्षतिपूर्ति की समाप्ति बिहार की राजकोषीय स्थिरता को खतरे में डालती है। 55वीं जीएसटी परिषद की हालिया बैठकों (दिसंबर 2024) ने संरचनात्मक सुधारों को जून 2025 तक स्थगित कर दिया है, जिससे राज्य के 70% पूर्व-जीएसटी राजस्व अंतर का समाधान अनिश्चित बना हुआ है।

नवीनतम विकास (दिसंबर 2024 तक)

55वीं जीएसटी परिषद बैठक (21 दिसंबर 2024)

  • व्यापारी निर्यातकों को आपूर्ति पर क्षतिपूर्ति उपकर 0.1% करने की सिफारिश
  • 26 जुलाई 2023 से ग्राउंड क्लीयरेंस पर उपकर लागू करने की पुष्टि
  • जीएसटी क्षतिपूर्ति पुनर्गठन पर मंत्रियों के समूह (GoM) का कार्यकाल 30 जून 2025 तक बढ़ाया

54वीं जीएसटी परिषद बैठक (9 सितंबर 2024)

  • क्षतिपूर्ति उपकर मार्च 2026 तक बढ़ाया गया
  • ₹8.67 लाख करोड़ : मार्च 2025 तक कुल उपकर संग्रह (अनुमानित)
  • ₹9.85 लाख करोड़ : कुल देयता (क्षतिपूर्ति + ऋण + ब्याज)
  • केंद्र ने जनवरी 2026 तक बैक-टू-बैक ऋण (₹2.69 लाख करोड़) चुकाने का वादा किया

बिहार की संरचनात्मक कमजोरियाँ

  1. राजस्व निर्भरता संकट

    • एसजीएसटी संग्रह (2023-24 में ₹48,000 करोड़) राजस्व व्यय का केवल ~40% पूरा करता है
    • पूर्व-जीएसटी राजस्व घाटा: कुल आवश्यकता का ~70%
  2. अनुमानित राजकोषीय झटका

    • 2026 के बाद तत्काल वार्षिक कमी: ₹15,000–20,000 करोड़
    • कर लोच 1.0 से कम बना हुआ है (अविकसित वृद्धि प्रतिसाद)
  3. सीमित राजकोषीय स्वायत्तता

    • प्रति व्यक्ति आय (₹54,000 बनाम राष्ट्रीय ₹1.49 लाख) वैकल्पिक कराधान को सीमित करती है
    • ईंधन/शराब जैसे “क्षतिपूर्ति योग्य करों” का लाभ उठाने में अक्षमता

संघवाद की दरारें

चुनौतीबिहार पर प्रभावप्रणालीगत जोखिम
विश्वास की कमीGoM विस्तार से संरचनात्मक समाधान में देरीसहकारी संघवाद की नींव को खतरा
असमान बोझविनिर्माण राज्य लाभान्वित; उपभोग राज्य हानि उठाते हैंअंतर-राज्य असमानता बढ़ी
ऋण जोखिमकेंद्र के ₹2.69 लाख करोड़ ऋण चुकौती से राजस्व हस्तांतरण दबावराज्यों को देय क्षतिपूर्ति पर जोखिम

क्षतिपूर्ति तंत्र: विकल्प एवं बाधाएँ

समाधानलाभचुनौतियाँ
स्थायी क्षतिपूर्ति कोषकमजोर राज्यों के लिए स्थिर राजस्वGoM रिपोर्ट अभी लंबित (जून 2025 तक)
बढ़ी हुई आईजीएसटी हिस्सेदारीघाटा वाले राज्यों के लिए 100% आईजीएसटीसंवैधानिक संशोधन की आवश्यकता
वित्त आयोग-15 हस्तक्षेपGST हानियों को अंतरण सूत्र में शामिल करना2026 तक रिपोर्ट समयसीमा

बिहार-विशिष्ट राजकोषीय जोखिम

  • मानव पूँजी का पतन
    स्वास्थ्य (बजट का 4.7%) और शिक्षा व्यय (15.2%) को खतरा
  • ऋण चक्र
    ऋण-जीएसडीपी अनुपात (2024 में 37.2%) 40% सीमा पार कर सकता है
  • राजनीतिक दबाव
    विशेष श्रेणी दर्जे की माँग में तेजी की आशंका

आगे का रास्ता

  1. GoM की समयबद्धता सुनिश्चित करें

    • जून 2025 तक स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करना
    • बिहार सहित घाटा वाले राज्यों को वीटो अधिकार
  2. वित्त आयोग-15 की तैयारी

    • GST कमियों को अंतरण सूत्र में प्राथमिकता देना
  3. राजस्व संग्रह दक्षता

    • तंबाकू उत्पादों पर उपकर संग्रह बढ़ाना (बिहार में प्रमुख उत्पाद)
    • डिजिटल अनुपालन का विस्तार

निष्कर्ष: 55वीं परिषद द्वारा GoM विस्तार से 2026 की समयसीमा और चिंताजनक हो गई है। ₹20,000 करोड़ के अनुमानित घाटे के साथ बिहार के लिए, केंद्र को जून 2025 तक एक संघीयता-अनुकूल समाधान प्रस्तुत करना होगा, नहीं तो राजकोषीय संकट अपरिहार्य है।