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विक्रमशिला और सोमपुर महाविहार स्तूपों के बीच संरचनात्मक समानताएँ

पाल युग के दो प्रतिष्ठित बौद्ध महाविहारों की तुलनात्मक विश्लेषण

हिमांशु शेखर पाण्डेय

ऐतिहासिक संदर्भ

विक्रमशिला विश्वविद्यालय

  • स्थापना: 770-810 ईस्वी, राजा धर्मपाल द्वारा
  • स्थान: अंतिचक गाँव, भागलपुर ज़िला, बिहार
  • महत्त्व: वज्रयान बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र
  • विनाश: 1203 ईस्वी में बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट किया गया

सोमपुर महाविहार

  • स्थापना: 8वीं सदी के अंत में, राजा धर्मपाल द्वारा
  • स्थान: पहाड़पुर, नाओगाँव ज़िला, बांग्लादेश
  • महत्त्व: हिमालय के दक्षिण में सबसे बड़ा बौद्ध महाविहार
  • परित्यक्त: 12वीं सदी में सेन वंश के बाद

वास्तुशिल्प तुलना

साझा संरचनात्मक विशेषताएँ

1. योजना:
  - दोनों की योजना चतुर्भुजाकार (quadrangular)
  - मध्य में स्तूप, चारों ओर मठीय कक्ष
  - ऊँची घेरने वाली दीवारें (सोमपुरा में 5 मीटर मोटी)

2. निर्माण:
  - ईंट से निर्मित संरचनाएँ (मानक आकार: 18×9×3 सेमी)
  - टेराकोटा सजावट
  - बाढ़ सुरक्षा हेतु ऊँचे प्लेटफ़ॉर्म

3. स्थानिक संगठन:
  - परिसर में कई मंदिर
  - 100+ भिक्षुओं के लिए आवासीय कक्ष
  - शिक्षण हेतु सभा भवन

प्रमुख अंतर: विक्रमशिला बनाम सोमपुर महाविहार

विशेषताविक्रमशिलासोमपुर महाविहार
कुल क्षेत्रफल~5 वर्ग किमी~10 वर्ग किमी
मुख्य संरचनाक्रूस-आकार स्तूप (15मी)विशाल केंद्रीय मंदिर
कोठरियों की संख्या208 कक्ष177 कक्ष
वर्तमान स्थितिआंशिक रूप से उत्खनितयूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

उत्खनन इतिहास

विक्रमशिला

  • 1960–69: पटना विश्वविद्यालय और एएसआई द्वारा प्रारंभिक उत्खनन
  • 1972–82: मुख्य स्तूप और 108 मंदिरों की खोज

मुख्य खोजें:

  • टेराकोटा पैनल
  • पुस्तकालय परिसर
  • जल संग्रहण प्रणाली

सोमपुर महाविहार

  • 1807–12: बुकेनन हैमिल्टन द्वारा पहला विवरण
  • 1927–34: के.एन. दीक्षित द्वारा व्यवस्थित उत्खनन
  • 1981–91: यूनेस्को प्रायोजित संरक्षण कार्य

धार्मिक महत्त्व – वज्रयान से संबंध

  • दोनों तांत्रिक बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्र थे
  • विशेष ध्यान कक्ष शामिल थे
  • तारा पूजा के प्रमाण
  • तिब्बत, चीन और दक्षिण एशिया से आए अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों का केंद्र

संरचनात्मक विवरण

विक्रमशिला की विशिष्ट विशेषताएँ

  • केंद्रीय स्तूप:

    • दो मंजिला संरचना (15 मीटर ऊँचाई)
    • दो परिक्रमापथ (circumambulatory paths)
    • टेराकोटा सजावट
  • मठीय परिसर:

    • चारों ओर 208 कोठरियाँ (प्रत्येक दिशा में 52)
    • योजनाबद्ध जल निकासी व्यवस्था
    • प्रत्येक कोठरी में तीन शैयाएँ

सोमपुर की विशिष्ट विशेषताएँ

  • केंद्रीय मंदिर:

    • असामान्य वास्तुशिल्प डिज़ाइन
    • विशाल चतुर्भुज आधार (प्रत्येक दिशा 274 मीटर)
    • बाढ़-रोधी ऊँचा चबूतरा
  • निर्माण विशेषताएँ:

    • बरिंद मिट्टी (Barind Clay Residuum) पर निर्मित
    • समुद्री-नदीय जमा वाली नींव
    • लोहा-युक्त मिट्टी की दीवारें

शैक्षणिक जीवन

विक्रमशिला की शैक्षणिक परंपरा

  • छह कॉलेज, विशेष द्वारों के साथ
  • कठिन प्रवेश परीक्षा

पाठ्यक्रम में शामिल:

  • बौद्ध दर्शन
  • तांत्रिक अध्ययन
  • व्याकरण और तर्क

प्रसिद्ध विद्वान:

  • आचार्य अतिश – तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार
  • रत्नाकरशांति
  • नारोपा
दोनों महाविहारों की केंद्रीय संरचनाओं की वास्तु योजनाओं की तुलना