उष्णकटिबंधीय जलवायु में पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स की ऊष्मागतिक सीमाएँ
उच्च तापमान का पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स के प्रदर्शन और स्थिरता पर प्रभाव – उष्णकटिबंधीय पर्यावरण में एक विश्लेषण
उष्णकटिबंधीय जलवायु में पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स की ऊष्मागतिक सीमाएँ
पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स (PSCs), विशेषकर कार्बन-आधारित PSCs (c-PSCs), भवन-एकीकृत फोटोवोल्टाइक (BIPV) के लिए आशाजनक विकल्प माने जा रहे हैं। लेकिन उष्णकटिबंधीय जलवायु (35°C से अधिक तापमान और उच्च आर्द्रता) में इनकी कार्यक्षमता ऊष्मागतिक सीमाओं (thermodynamic limitations) से प्रभावित होती है।
पृष्ठभूमि: PSCs और BIPV
- PSCs, सिलिकॉन सोलर सेल्स के सस्ते विकल्प के रूप में उभरे।
- c-PSCs में 11% तक पावर कन्वर्ज़न एफिशिएंसी (PCE) और अर्ध-पारदर्शिता (semi-transparency) संभव।
- BIPV में खिड़कियों के रूप में इनका उपयोग किया जा सकता है।
- समस्या: उच्च तापमान पर पेरोव्स्काइट क्रिस्टल का फेज़ बदल जाता है, जिससे कार्यक्षमता घटती है।
Quick Note:
- PSCs = High PCE + Low Cost।
- Tropical climate = Stability problem due to heat + humidity।
ऊष्मागतिक चुनौतियाँ (Thermodynamic Challenges)
- Stability: MAPbI3 जैसे पदार्थ उच्च तापमान पर टूट-फूट दिखाते हैं।
- PCE: तापमान बढ़ने पर Voc और Jsc कम होते हैं → कार्यक्षमता घटती है।
- Optical Properties: प्रकाश पारगम्यता (transmittance) बदल जाती है।
- Thermochromic Behavior: तापमान बदलने पर पारदर्शिता में उतार-चढ़ाव।
तापमान-निर्भर प्रदर्शन
तापमान (°C) | Voc (mV) | Jsc (mA/cm²) | Fill Factor | PCE (%) | AVT (%) |
---|---|---|---|---|---|
25 | 901.1 | 21.15 | 57.8 | 11.0 | 27.61 |
55 | 845.3 | 18.0 | 52.3 | 7.9 | 28.0 |
75 | 790.1 | 12.9 | 45.0 | 4.6 | 29.8 |
- 25°C पर सर्वोत्तम कार्यक्षमता (11%)।
- 55°C के बाद कार्यक्षमता तेजी से घटती है।
- 75°C पर केवल 4.6% रह जाती है।
- AVT (transparency) बढ़ता है → अधिक रोशनी और गर्मी अंदर जाती है।
Quick Note:
- Efficiency ↑ at 25°C, ↓ sharply after 55°C।
- Trade-off: Transparency ↑ but Efficiency ↓।
BIPV में दृश्य और तापीय आराम
- CRI (Colour Rendering Index): 80 से ऊपर चाहिए। उच्च तापमान पर कम हो जाता है।
- CCT (Colour Temperature): 3000–7500K आदर्श, 55°C के बाद reddish-white शिफ्ट।
- SHGC (Solar Heat Gain Coefficient): तापमान बढ़ने पर बढ़ता है → इमारत में अधिक गर्मी।
- Glare Control: 15–45°C तक ठीक, पर अधिक तापमान पर glare बढ़ता है।
Quick Note:
- CRI + CCT degrade >55°C।
- SHGC ↑ → Cooling demand ↑।
तापमान और दक्षता गुणांक
- TCT (Transmittance Coefficient of Temperature): 25°C तक सकारात्मक, उसके बाद नकारात्मक।
- ECT (Efficiency Coefficient of Temperature): Efficiency और Transparency का उल्टा संबंध।
Quick Note:
- TCT shows material change at high T।
- ECT shows efficiency-transparency trade-off।
उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए निहितार्थ
- 55°C के बाद MAPbI3 का फेज़ बदलना → PCE घटती है।
- AVT बढ़ने से SHGC बढ़ता है → भवन ठंडा रखने की लागत बढ़ती है।
- CRI और CCT घटने से कमरे की रोशनी गुणवत्ता खराब।
- Glare की समस्या अधिक धूप में बढ़ती है।
समाधान रणनीतियाँ (Mitigation Strategies)
- Advanced Encapsulation: ताप और नमी से सुरक्षा।
- Material Engineering: स्थिर पेरोव्स्काइट मिश्रण का उपयोग।
- Thermochromic Optimization: adaptive coatings से transparency नियंत्रित।
- Cooling Systems: Passive/Active methods।
- Climate-Specific Design: Tropical conditions के अनुसार glazing डिज़ाइन।
Quick Note:
- Encapsulation + Material Mix = Better Stability।
- Cooling + Design Adaptation = Improved BIPV performance।
निष्कर्ष
पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स (PSCs) BIPV के लिए आशाजनक हैं, पर उष्णकटिबंधीय जलवायु में 55°C से ऊपर इनकी कार्यक्षमता और स्थिरता घटती है।
- फायदा: पारदर्शिता और कम लागत।
- समस्या: उच्च तापमान पर दक्षता गिरना और दृश्य आराम में कमी।
- समाधान: उन्नत पैकेजिंग, नई सामग्री, और उष्णकटिबंधीय के अनुरूप डिज़ाइन।
👉 अगर इन समाधानों को अपनाया जाए तो PSCs उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता और भवन आराम दोनों को बढ़ावा दे सकते हैं।
Exam Pointers (प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु)
- PSCs = High absorption + Tunable bandgap।
- c-PSCs Efficiency: ~11% (25°C)।
- Efficiency at 75°C: ~4.6%।
- Key Issue = Phase transition of MAPbI3 above 55°C।
- CRI & CCT degrade at high T।
- Mitigation: Encapsulation, Mixed-cation perovskite, Cooling design।